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एक युद्ध कविता की माँग पर / विलियम बटलर येट्स / सुरेश सलिल

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सोच रहा हूँ, बेहतर होगा
बन्द रहे कवि का मुँह ऐसे देशकाल में
क्योंकि वस्तुत:कोई भी दिव्यास्त्र न ऐसा पास हमारे
सबक सिखा पाए जो अगुआ नेताओं को ।

काफ़ी मत्था-पच्ची कर वह, वह कुछ रचता
जिससे कोई कमसिन युवती सहलाए —
अपनी अलस जवानी के स्वप्निल भावों को,
और कि जिससे जाड़े की ठरती रातों में
कोई बूढ़ा स्मृतियों की राह सँवारे ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलिल
लीजिए, अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
               William Butler Yeats
       On being asked for a War Poem

I think it better that in times like these
A poet's mouth be silent, for in truth
We have no gift to set a statesman right;

He has had enough of meddling who can please
A young girl in the indolence of her youth,
Or an old man upon a winter’s night.