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उड़ि गेल बगरा अपन देस / दीपा मिश्रा

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भिनसर उड़ि आएल छल अंगना
चुनैत रहल ओ दाना चुंगना

हीत मीत के संगहि अनलक
बाजल नाचल गीतो गाओलक

तखने जोड़सँ ठनकल ठनका
तितिर बितिर छिड़ियाएल धनुका

झड़ि गेल अंगना झड़ि गेल आम
उजरल उपटल खेत दलान

हम सब किछु बस देखैत रहलौं
बुझितो सुझितो किछु नै बजलौं

मोनक सब किछु मोनहि रहि गेल
उड़ि गेल बगरा अपन देस!