भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चाहत / सुशांत सुप्रिय
Kavita Kosh से
Adya Singh (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:43, 21 नवम्बर 2024 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुशांत सुप्रिय |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
जूते-चप्पल
हमें कहीं नहीं ले जाते
हमें हमारी मंज़िल तक
ले जाते हैं हमारे हाथ-पैर
मैं नहीं चाहता हूँ
राम की चरण-पादुका-सा
पूजा जाना
मैं बलराम के हल-सा
खेत की छाती में
उतर जाना चाहता हूँ