Last modified on 3 दिसम्बर 2024, at 16:15

न्यारी-न्यारी धरती / नीरज दइया

Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:15, 3 दिसम्बर 2024 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नीरज दइया |संग्रह=पाछो कुण आसी / न...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

घणा दिन हुयग्या
दिन कांई !
घणा-घणा बरस हुयग्या
आपां मिल्या कोनी !

छोटी-सी धरती
तर-तर फैलती जावै
एक धरती माथै
बणायली आपां
आपां-आपां री
न्यारी-न्यारी धरती।