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सविता चोर नहीं है / नेहा नरुका

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सविता कपड़े धोती है
सविता ढाई सौ रुपए पर इंसानों के कपड़े धोती है
मोहल्ले की गुप्ताइन ने सविता पर
डेढ़ सौ रुपए की चोरी लगाई है

गुप्ताइन का दावा है —
डेढ़ सौ रुपए जब उसने वाशिंग मशीन पर रखे
तब घर में सिर्फ़ सविता थी

सविता महेरी-सी खदक रही है
कौए जैसी चोंच से भारी-भरकम पत्थर तोड़ रही है
सूखी आँखों से रोते हुए
हर थके-थकाए वाक्य के अन्त में
मन्दिर में बैठे ठाकुर जी की सौ खा रही है

गुप्ताइन का आरोप को ग़लत
और ग़ैरज़रूरी सिद्ध करने के लिए सविता
अपने दूसरे मालिकों के घरों में हुए अनुभव सुना रही है
कि कैसे शर्मा जी के पेण्ट में रखी नोटों की गड्डी
उसने ही शर्माइन को दी
कैसे वक़ील मेडम अपना घर
उसके भरोसे छोड़ कोर्ट भाग जाती हैं
कैसे दुबे की बहू उसे तकिये में भरे
नोट का रहस्य बताती है

गुप्ताइन एक ही रट लगाए हैं
पैसे जिस वक़्त पर्स से निकालकर वाशिंग मशीन पर रखे
घर में उस वक़्त सिर्फ़ सविता थी

गुप्ताइन की कमर में तकलीफ़ रहती है
डॉक्टर ने झुककर काम करने से मना किया है
कमर में बेल्ड बांधे रहती हैं हरदम

मगर डेढ़ सौ रुपए का ये दर्द
उनके कमर दर्द को खा गया है
सविता ने गुप्ताइन का काम छोड़ दिया है
उसका कहना है ऐसी औरत के घर में क्या काम करना
जो आज डेढ़ सौ रुपए की चोरी लगा रही है
कल न जाने क्या लगा दे

उसने कह दिया है मैंने नहीं चुराए
फिर भी अपनी तसल्ली के लिए
मेरे हज़ार में से काट लेना

गुप्ता जी का मेडिकल स्टोर है,
दवाइयों के नाम पर
हर तीसरे ग्राहक को चूना लगाते हैं
पर वह चोर नहीं हैं

गुप्ता के सामने जो सरकारी अस्पताल है
उसका डॉक्टर दुबे और उसका बेटा
खुलेआम मरीजों से फीस वसूलते है
पर वे भी चोर नहीं है

वकील मेडम कोर्ट में
फर्जी केसों से ख़ूब पैसे छाप रही हैं आजकल
पर वह भी चोर नहीं हैं

सरकारी कॉलेज़ के शर्मा जी पच्चीस साल से
प्रिंसीपल की केवल कुर्सी तोड़ रहे हैं
पर वह भी चोर नहीं है

गुप्ताइन के मकान में एक लड़की पार्लर चलाती है
हर महीने किराया लेने के बाद भी गुप्ताइन
फ़्री का फ़ेशियल, हेयर कट, थ्रेडिंग,
बिन्दी-काजल डकार चुकी हैं
पर वह भी चोर नहीं है
केवल सविता चोर है

चूँकि वह चोर है इसलिए गुप्ताइन
उसके डेढ़ सौ रुपए काटकर भी
आठ सौ पचास रुपए देने का नाम नहीं ले रही है ।