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ब्याह-शादी का चा / दिनेश शर्मा

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ब्याह शादी का चा
सारे गाम म्है हो सै
अपणी अपणी चाहना
सबके मन म्है हो सै

दुल्हा दुल्हन इस दिन
राजा राणी से हो सै
आण आले नए बख्त के
नए सुपने मन मैं हो सै

मां बाबू के भी आज
ना पां धरती पै हो सै
सासू सुसरा बणन का
चढ्या हुमाया हो सै

भाई भाभी बाण बणोई
मन सबकै आस हो सै
आदर मान बढ़ाई की
बाट घणे दिनां तै हो सै

मां बाप घर गाम की
सीस दिल तै हो सै
लाडो रहै सुख मौज मै
मांग राम तै हो सै

बहू घर म्है आवै जब
तील दिखाई हो सै
सारे पड़ोस लुगाइयाँ का
फेर जमावड़ा हो सै

सारे छोटे-बड्या खातर
यू बख्त स्पेसल हो सै
कुड़ता धोती सूट साड़ी
ना सबपै लिखे हों सैं

सासू नणद जेठानी की
तील न्यारी हो सै
घर के मरद माणसां की
कांबल लोई हो सै

मिलै आच्छी खासी मान
मन रिश्तेदारां के हो सै
एड़ी ठा ठा देखैं सारे
लाडू मन फूट रहे हों सै

तील-तागा सुथरा बुहार
चीज ज़रूरी हों सैं
कौण दिए-लिए का भूखा
आदर चाहना हो सै

धन दौलत के भूखे दूर
सुख शांति तै हो सै
नहीं किसे के लिए दिए तै
सदा गुज़ारा हो सै

ब्याह शादी का चा
सारे गाम म्है हो सै
अपणी अपणी चाहना
सबके मन म्है हो सै ॥