भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

फ़्रेम / उत्पल डेका / नीरेन्द्र नाथ ठाकुरिया

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:56, 1 फ़रवरी 2025 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उत्पल डेका |अनुवादक=नीरेन्द्र ना...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हर कोई वापस आता है
एक दिन ख़ुद के लिए
 
आसानी से भूल जाता है
अच्छी तरह से डिज़ाइन की गई तस्वीरें
जीवन के प्रमुख समय में खो गए रिश्ते
 
बहुत से लोगों को नाराज़ न करें
अपने आप को पुनर्जीवित करें
किसी की आँख में
ज़िन्दगी की कहानी खो जाती है
क़िस्सों की भीड़ में

आसमान
बारिश
और सिगरेट के धुएँ की तरह

व्यथित संघर्षों से विकृत समय चित्र की तरह बोलता है

मूल असमिया भाषा से अनुवाद : नीरेन्द्र नाथ ठाकुरिया