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इतिहास में हत्यारे / अशोक तिवारी

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इतिहास में हत्यारे
………

हत्यारे
बहुत डरपोक थे
किसी भी सूत्र के पकड़े जाने के डर से
छिपे थे झाड़ियों की ओट में
किसी के सर्वनाश के लिए

हत्यारे
बहुत डरपोक थे
प्रार्थना की मुद्रा में आते थे
हत्या करने
सीना चौड़ाते हुए
मुस्कराते हुए
पागलपन में रटी गई
कुछ पंक्तियों के सूत्र
बुदबुदाते हुए होंठों के अंदर
दाग देते गोलियाँ
बिखेर देते बारूदी गंध हवा में
और हो जाते भीड़ में शामिल
दबे-पाँव
सब कुछ सामान्य दिखाने के लिए

हत्यारे
बहुत डरपोक थे
डरते थे अपनी आँख में
उतर आए खून से
हाथों को रखते थे हमेशा
अपने दिल की पहुँच से बहुत दूर
वे डरते थे
अकेले में अपने-आपसे
और घबराते थे पढ़ने से
किसी भी प्रेम की इबारत
प्यार को छद्म मानते हुए
हेकड़ी से लेते थे काम
डराती थी जो उन्हें अपने ही अंदर से

हत्यारे
बहुत डरपोक थे
और अपनी असुरक्षा
को फैलाते हुए चारों तरफ़
आश्वस्त करते थे
सुरक्षा के लिए सबको
हत्यारे
जाति-धर्म-लिंग-वर्ग के खोल का आवरण
ओढ़कर आते थे हमारे सामने

हत्यारे
बहुत डरपोक थे
चेहरे के पीछे के खूँखारियत
को दबाते हुए मुस्कराते थे इस क़दर कि
दोस्ती होने के नाज़ का
अहसास भर सकें सभी में

सवाल पूछे जाने के बनिस्बत
सिर्फ़ विश्वास करने की करते थे हिमायत
बगैर कुछ सोचे
आस्था की हद तक

हत्यारे
बहुत डरपोक थे
दिखाते हुए अपने आपको
पढ़ा-लिखा, ज्ञानी और मूर्धन्य
गाया करते थे जो रूढ़ियों और प्राचीन सभ्यता का गान पेश करते हुए
ज्ञान और तर्क की अनौखी मिसाल
गढ़ लिया करते थे अपना ही सिद्धांत
और समता, समानता को यूटोपियन कहकर
खो जाते थे “स्मृतियों” के भंवर में
और करते थे सिर्फ़ मन की बात

हत्यारे
बहुत डरपोक थे
जो लेकर चलते थे गले में कई-कई ज़बान
इस्तेमाल करते थे जिन्हें
वक़्त के मिजाज़ के साथ
और बाँधे होते थे
कच्चे रंगों की पोटली अपने दिमाग में
जिसमें रहते थे क़ैद नुस्खे
‘सँविधान’ से निपटने के

हत्यारे
बहुत डरपोक थे
वे डरते थे मौसम के बदलते मिजाज़ से
दुनिया को ठेंगे पर रखने की बात कहते हुए
वे डरते थे
अपने अंदर की शांति से
दूसरों को मारने से पहले
मार चुके होते हैं हत्यारे अपने आपको
ज़िंदा साबित करने के वास्ते खुद को
आजमाया करते थे बल-प्रयोग दूसरों पर
बारम्बार

अब चूँकि वे हत्यारे थे
हत्यारे हैं
बहुत डरपोक थे
डरपोक हैं
सीखा था उन्होंने सिर्फ़ डरना और डराना
इतिहास के पन्नों से भी कि
बड़े-से बड़े हत्यारे
रहे हैं बड़े-से बड़े डरपोक!!
…………….