भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नहीं चलेगा / कुंदन सिद्धार्थ

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:55, 30 मार्च 2025 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुंदन सिद्धार्थ |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

प्रेमी हो, कविता न लिखे, चलेगा
कवि हो और प्रेम न करे, नहीं चलेगा

बेईमान साधु हो जाये, दौड़ेगा
साधु हो और बेईमान हो, नहीं चलेगा

मूरख पढ़-लिखकर शिक्षा बाँटे, स्वागत है
शिक्षक हो और जड़बुद्धि हो, नहीं चलेगा

अंगुलिमाल बुद्ध-चरणों में शरण ले, क्या बात है!
भगवद्भक्त हो और हो हत्यारा, नहीं चलेगा

हम तुम दोनों न मिल पाएँ, जाने दो
कभी हम तुमसे जुदा हो जाएँ, नहीं चलेगा