कितना वक़्त तुम्हें चाहिए
उस पर
नाराज़ न होने की ख़ातिर
जो कुछ मै कहता हूँ?
और फिर क्या मैं रह जाऊंगा
उसे कहने की ख़ातिर
और फिर क्या कोई तुक रह जाएगी
कि उसे बताया जाए?
फिर क्या वह समझ के बाहर होगी
या फिर मानी हूई बात?
और फिर क्या मैं बुदबुदाऊंगा नहीं,
"मैं तो हमेशा यही कहता था" ?
मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य