भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कम्युनिस्ट होना / रॉक डाल्टन
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:23, 15 मई 2025 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रॉक डाल्टन |अनुवादक=कम्युनिस्ट ह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
कम्युनिस्ट होना सबसे महान बात है,
हालाँकि यह देता है आपको
ढेर सारे सिरदर्द
क्योंकि कम्युनिस्टों के सिरदर्द ऐतिहासिक होते हैं
इसलिए दर्द निवारक गोलियों से वहाँ
कोई काम नहीं चलता...
केवल धरती पर
जन्नत मिल जाने की वजह से
जैसी यह है..
पूँजीवाद के भीतर हमारा सिर दुखता है
जैसे खींच लिया गया है
हमारे सिर को गर्दन से..
इंक़लाब के संघर्षों के दौरान
यह बन जाता है एक :
विलम्बित एक्शन बम
समाजवाद के निर्माणकाल में हम योजना बनाते हैं उन सरदर्दों की
जो इसे कभी न पहुँचा पाएँ राहत,
ठीक हमारी इन बातों के विपरीत...
और हमारा साम्यवाद होगा,
दूसरी चीज़ों के साथ-साथ
सूर्य जितनी बड़ी
एस्पिरिन की गोलियों जैसा।
अँग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद : तनुज