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तुम्हारा होना-1 / जितेन्द्र श्रीवास्तव

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तुम हो यहीं आस-पास
जैसे रहती हो घर में

घर से दूर
यह एक अकेला कमरा
भरा है तुम्हारे होने के अहसास से

होना
सिर्फ़ देह का होना कहाँ होता है !