Last modified on 27 जुलाई 2025, at 01:13

मन्नू समझदार हो गया है / अशोक अंजुम

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:13, 27 जुलाई 2025 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अशोक अंजुम |अनुवादक= |संग्रह=अशोक...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मम्मी-डैडी
कहते-कहते थक गये
तब न माना था
लेकिन अब
उसने गली के गन्दे
‘नीची जाति’ के बच्चों के साथ
खेलना बन्द कर दिया है
मन्नू समझदार हो गया है!

चुपचाप निकाल लेता है
गुल्लक में से पैसे
ऊँचे ब्रेकेट पर रखी मिठाई
चट कर जाता है
सबकी नज़र बचाकर
पकड़ में नहीं आता
पूछने पर
थोप देता है सारा दोष
बिल्ली या
कभी नौकरानी पर
बड़ी सफ़ाई के साथ
डाँट खाती है रामप्यारी
न...ना,
मन्नू ऐसा काम नहीं कर सकता!’’
मम्मी-डैडी ख़ुश हैं
मन्नू समझदार हो गया है!