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इवान म्यातलिफ़
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इवान म्यातलिफ़
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| जन्म | 08 फ़रवरी 1796, |
|---|---|
| निधन | 25 फ़रवरी 1844 |
| उपनाम | Ива́н Петро́вич Мя́тлев |
| जन्म स्थान | साँक्त पितिरबूर्ग, रूस |
| कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
| 1834 और 1835 में लोकगीतों की पैरोडियों के दो-संग्रह प्रकाशित | |
| विविध | |
| रूस के एक बड़े ज़मींदार और हास्य कवि थे जिनकी 1840 में लिखी एक लम्बी कविता — "मदाम कुर्दियुकोवा की विदेशी सम्वेदनाएँ और टिप्पणियाँ, डैन ल'एट्रेंज" रूस में बेहद चर्चित और लोकप्रिय हुई थी। यह कविता एक मैक्रोनिक कविता है, यानी विभिन्न भाषाओं के शब्द और उनके व्याकरणों को आधार बनाकर लिखी गई है। उसमें लातिनी भाषा के शब्दों को मध्ययुग के रूस की बोलियों, रूस की जनभाषाओं और फ़्रांसीसी भाषा के शब्दों को तोड़-मरोड़कर, उन्हें रूसी भाषा का रूप देकर प्रस्तुत किया गया है, जिससे कविता की भाषा हास्य पैदा करनेवाली एक अनूठी और करारी व्यंग्यात्मक भाषा बन गई है। बाद में राब्लेर, मॉल्येर आदि बहुत से फ़्रांसीसी कवियों ने इस तरह की मैक्रोनिक कविताएँ लिखीं। अपनी कविताओं में इवान म्यातलिफ़ ने विदेश में रूसी कुलीन वर्ग और रूसी व्यापारियों द्वारा किए जाने वाले दिखावे और व्यवहार की आलोचना की है। | |
| जीवन परिचय | |
| इवान म्यातलिफ़ / परिचय | |

