भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तुम्हें ऐ दोस्तो / चरण जीत चरण

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:52, 17 अगस्त 2025 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चरण जीत चरण |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGh...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ख़ैर तूने जो कहा अब और कुछ
ठीक है चल हो चुका अब और कुछ

लो मुबारक़ हो तुम्हें ऐ दोस्तो
हो गए दोनों जुदा अब और कुछ

मर्ज़ ये वो है नहीं जिसकी दवा
हाँ कोई बोला तो था अब और कुछ

जब ये लगता था कि अब कोई नहीं
अक्स था दिल में तेरा अब और कुछ

उम्रभर की टेंशन से बच गया
कश लगा ग़म को उड़ा अब और कुछ