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सिर्गेय येसेनिन की याद में / आन्ना अख़्मातवा

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इस जीवन को छोड़ना है कितना आसान,
बिना सोचे-समझे राख हो जाता है इनसान।
बिना किसी दर्द के स्वीकार लेते हैं मौत को
पर रूसी कवि का नहीं होता शुभ्र अवसान।

पंखों वाली आत्मा में जब घुल जाता है सीसा
स्वर्ग अपनी सीमाएँ खोल तब करता है पीछा,
खुरदुरा आतंक अपने झबरे पंजों के साथ
हृदय से निचोड़ लेता है जीवन का छींका ।

1925

मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय

लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी में पढ़िए 
               Анна Ахматова
       Памяти Сергея Есенина

Так просто можно жизнь покинуть эту,
Бездумно и безбольно догореть.
Но не дано Российскому поэту
Такою светлой смертью умереть.

Всего верней свинец в душе крылатой
Небесные откроет рубежи,
Иль хриплый ужас лапою косматой
Из сердца, как из губки, выжмет жизнь.

1925