ये नारियल अभी-अभी आपके सर पर गिरा
आपको कैसा लग रहा है ?
उसने वही नारियल रिपोर्टर के सर पर मारा
बोला बिलकुल ऐसा लगा रहा है
इधर रिपोर्टर ने माथा खुजाते हुए कहा
ये तो नारियल का मिसयूज है
उधर स्टूडियो में एँकर चिल्लाया
एक नारियल ने दो लोगों का सर ब्रेक किया
ये तो ब्रेकिंग न्यूज है
और इसी विषय पर बात आज डिबेट पर होगी
चर्चा खोपड़ी की सहिष्णुता
और नारियल के वेट पर होगी
फिर एँकर ने चार लोगों का परिचय कराया
चर्चा शुरू हुई तो एक को चुप किया दूसरे को हड़काया
और तीसरे पर दस मिनट तक लगातार बरसता रहा
उधर मुँह ताकता चौथा विशेषग्य
बेचारा एक लाइन बोलने के लिए तरसता रहा
तभी एँकर ने उससे सवाल किया
नारियल के इतहास, भूगोल के साथ
वैज्ञानिक महत्त्व बताइए
मुझे ब्रेक लेना है तीस सेकेण्ड में समझाइए
शुरू में लगा नहीं था कि एँकर
गुस्से में चीख-चीख कर गला फाड़ने लगेगा
एक पल तो ऐसा लगा जैसे अभी स्क्रीन से
बाहर निकलेगा और मारने लगेगा
कभी-कभी तो बहस
विषय की सीमा से पार हो जाती है
और एक आधा एँकर को देख कर लगता है
जैसे उन पर माता सवार हो जाती है
लेकिन इस मीडिया के ग्लैमर में
सच्चाई ना काबिले ग़ौर होती जा रही है
जिसे विश्वसनीयता का दौर होना चाहिए था
वो सबसे पहले सबसे आगे की दौड़ होती जा रही है
समाचार पहले पहुँचता था अब बिकता है
असल दुःख तो तब होता है
जब लोकतंत्र का ये चौथा खम्भा
किसी और झुका हुआ दिखता है