भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कभी कभी / मेरे घर आई एक नन्ही परी

Kavita Kosh से
Sanjaygawande (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:53, 1 दिसम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: मेरे घर आयी एक नन्ही परी चान्दनी के हसीन रथ पे सवार उसके आने से मे...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेरे घर आयी एक नन्ही परी चान्दनी के हसीन रथ पे सवार

उसके आने से मेरे आंगन मे खिल उठे फुल गुनगुनायी बहार देखकर उसको जी नही भरता चाहे देखू उसे हज़ारो बार

मैने पूंछा उसे कि कौन है तू हंस के बोली कि मै हू तेरा प्यार मै तेरे दिल मे थी हमेशा से घर मे आयी हू आज पहली बार

मेरे घर आयी एक नन्ही परी