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सात हज़ार साल बाद / संजय चतुर्वेदी
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कोई सात हज़ार साल बाद खोला उसने दरवाज़ा
बदल गई थी भाषा
लेकिन बदले नहीं थे आदमियों के आपसी सम्बन्ध
और वही आदमी था आज भी राजा
जिसके डर से वह बन्द हुआ था
सात हज़ार साल पहले।