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नौकरी और प्यार / विश्वनाथप्रसाद तिवारी

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अपनी इच्छा से नहीं आया है वह
न जाएगा अपनी इच्छा से
और जो कुछ भी होगा यहाँ
शायद उसकी इच्छा से नहीं होगा
न कभी हुआ

उसकी पीड़ा यही है
कि वह सुख भी पाता है
तो दूसरे की इच्छा से।