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पंक्ति में / विश्वनाथप्रसाद तिवारी

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इसके पहले कि बर्फ़ पिघले
और फागुनी हवाएँ
चीड़ों से
हमारे होने का अर्थ पूछें
हमें लौट जाना चाहिए
आदमियों की पंक्ति में