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पलायन / विश्वनाथप्रसाद तिवारी
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ऎसा है कि मेरा माथा भन्ना रहा है
और मैं आजिज आ गया हूँ
यह आधी रात
सुनसान सड़क
और मैं...
केवल भट्ठियों के साथी
नशे में चूर, लड़खड़ाते लौट रहे हैं।
जहन्नुम में जाए यह और वह
और वह और यह
अब मैं पीकर सड़क किनारे
लुढ़क जाना चाहता हूँ।