भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आज नहीं तो कल होगा / श्याम सखा 'श्याम'

Kavita Kosh से
अनूप.भार्गव (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:53, 16 दिसम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्याम सखा 'श्याम' }} <Poem> आज नहीं तो कल होगा हर मुश्...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आज नहीं तो कल होगा
हर मुश्किल का हल होगा
जंगल गर औझल होगा
नभ भी बिन बादल होगा
नभ गर बिन बाद्ल होगा
दोस्त कहां फ़िर जल होगा
आज बहुत रोया है दिल
भीग गया काजल होगा
आँगन बीच अकेला है
बूढ़ा सा पीपल होगा
दर्द भरे हैं अफ़साने
दिल कितना घायल होगा
छोड़ सभी जब जाएंगे
‘तेरा ही संबल होगा
पीर सभी की सुनता है
झूठ अगर बोलोगे तुम
उअह तो खुद से छल होगा
रोज कलह होती घर में
रिश्तों मे दल-दल होगा