भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रात के मन्दिर / संजय चतुर्वेदी

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:56, 26 दिसम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संजय चतुर्वेदी |संग्रह=प्रकाशवर्ष / संजय चतुर्...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


उदासी रास्तों के साथ दूर तक जाती है
उन लोगों तक जो कविताएँ नहीं लिखते

आसमान में क़िस्मत के सितारे चमक रहे हैं
दुनिया के सभी लोगो पर एक बराबर

एक पीपल का पेड़ खड़ा है चुपचाप
सारे गाँव की कहानियाँ अपने नीचे समेटे

थके लोग जब रात को सो जाते हैं
एक बच्चा निकलता है गाँव से

आ के बैठ जाता है पीपल के नीचे
सारी कहानियों से बेख़बर।