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सूरज के घोड़े / वृन्दावनलाल वर्मा
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सूरज के घोड़े इठलाते तो देखो नभ में आते हैं।
टापों की खटकार सुनाकर तम को मार भगाते हैं
कमल-कटोरों से जल पीकर अपनी प्यास बुझाते हैं
सूरज के घोड़े इठलाते तो देखो नभ में आते हैं।