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विनोद / वृन्दावनलाल वर्मा

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है विनोद बिन जीवन भार
है विनोद बिन जड़ संसार
है विनोद बिन बुद्धि असार
है विनोद बिन देह पहार
है विनोद से बुद्धि विकास
ज्ञान-तंतुओं से परकास
शक्ति कवित्व इसी से निकली
ईश भावना इस से उजली।