भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
विनोद / वृन्दावनलाल वर्मा
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:38, 29 दिसम्बर 2008 का अवतरण
है विनोद बिन जीवन भार
है विनोद बिन जड़ संसार
है विनोद बिन बुद्धि असार
है विनोद बिन देह पहार
है विनोद से बुद्धि विकास
ज्ञान-तंतुओं से परकास
शक्ति कवित्व इसी से निकली
ईश भावना इस से उजली।
1958 में 'समालोचक' (सम्पादक डा० रामविलास शर्मा) में प्रकाशित