भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कोंकाबेली / प्रयाग शुक्ल
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:34, 1 जनवरी 2009 का अवतरण
उगी है कोंकाबेली
फूली
पानी में--
फूलती थी जैसे बचपन में ।
पौधे ये और
फूल ये और
सुबह ये और
पर फूली है
कोंकाबेली
फूलती थी जैसे
मेरे बचपन के
इस
गाँव में !