भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
यात्रा (दो) / शरद बिलौरे
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:43, 4 जनवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शरद बिलौरे |संग्रह=तय तो यही हुआ था / शरद बिलौरे }...)
मैं लिखूंगा एक दिन
अपनी लम्बी-लम्बी यात्राओं के बारे में।
दूर देशों के बारे में
लिखूंगा ज़रूर
ढेर की ढेर कविताएँ।
मैं लिखूंगा तब
जब अपने शहर और नौकरी के बारे में
कुछ नहीं सोचकर
यात्रा करता हुआ
मैं सिर्फ़
यात्रा के बारे में ही सोचूंगा।