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यूँ तेरी रहगुज़र से दीवानावार गुज़रे / मीना कुमारी
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यूँ तेरी रहगुज़र से दीवानावर गुज़रे
काँधे पे अपने रख के अपना मजार गुज़रे
बैठे हैं रास्ते में दिल का नगर सजा कर
शायद इसी तरफ़ से एक दिन बहार गुज़रे
बहती हुई ये नदिया घुलते हुए किनारे
कोई तो पार उतरे कोई तो पार गुज़रे
तू ने भी हम को देखा हमने भी तुझको देखा
तू दिल ही हार गुज़रा हम जान हार गुज़रे.