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कुछ नहीं कर पाएंगे / विजयदेव नारायण साही
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एक थरथराहट के बाद
चक्का चलता-चलता बन्द हो गया
किसी ने दूसरे कमरे से पुकारा
क्या हुआ,
आवाज़ क्यों नहीं आ रही है?
मैंने कहा
बत्ती बुझ गई है
शायद हम लोग आज कुछ नहीं
कर पायेंगे।