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वो सबके दिल लुभाता है कभी हम ने नहीं देखा / प्राण शर्मा
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वो सबके दिल लुभाता है कभी हम ने नहीं देखा
कि कौवा सुर में गाता है कभी हम ने नहीं देखा
ये सच है झोंपड़े ढाते हुए सबको ही देखा है
कोई महलों को ढाता है कभी हम ने नहीं देखा
उड़ाओ तुम भले ही पर कोई बरखा के मौसम में
पतंगों को उडाता है कभी हम ने नहीं देखा
जवानी सबको भाती है चलो हम मान लेते हैं
बुढापा सबको भाता है कभी हम ने नहीं देखा
वे आपस में तो लड़ते हैं मगर पंछी को पंछी से
कोई पंछी लडाता है कभी हम ने नहीं देखा
बुलावे की न कर आशा उस से कि शक्की दिल
किसी को घर बुलाता है कभी हम ने नहीं देखा
बहुत कुछ देखा है जग में मगर ऐ "प्राण" दुश्मन को
गले दुश्मन लगाता है कभी हम ने नहीं देखा.