भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कुत्तों से सावधान / ध्रुव शुक्ल

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:18, 14 जनवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ध्रुव शुक्ल |संग्रह=खोजो तो बेटी पापा कहाँ हैं / ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सम्भल-सम्भल कर चलना भाई
यहाँ पले हैं सुख के कुत्ते
दबी हुई दुम और दबा के
दुख के कुत्ते
रोक रहे हैं अपना साहस
और उठा के अपनी दुम को
भौंक रहे हैं सुख के कुत्ते

आगे-आगे सुख का कुत्ता
पीछे-पीछे कुत्ते का सुख
पीछे-पीछे दुख का कुत्ता
आगे-आगे कुत्ते का दुख

बीच सड़क पर
सुख का कुत्ता भौंक पड़े
सड़क छोड़कर
दुख का कुत्ता उल्टे पाँव बढ़े

देखे सुख के उठते पाँव
देखे दुख के गिरते पाँव
देखे दोनों राहगीर
जिनको खींच रही जंज़ीर