Last modified on 16 जनवरी 2009, at 03:29

एक स्त्री ने / लीलाधर मंडलोई

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:29, 16 जनवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लीलाधर मंडलोई |संग्रह=क्षमायाचना / लीलाधर मंडल...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

इतनी बार गिरा
इतने आघात

इतनी बार हारा
इतनी चोटें

इतनी बार मरा
इतने दुख

जी उठा तिस पर
हर बार एक स्त्री ने बचाया