भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
महानगर / त्रिनेत्र जोशी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:50, 16 जनवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=त्रिनेत्र जोशी |संग्रह=}} <poem> भैय्या महानगर मत आन...)
भैय्या
महानगर मत आना
बहुत तंग करती हैं दो चीज़ें-
संविधान और पुलिस
और ख़ुद वह बेशुमार चौराहों में
भटका देने वाला शहर