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ललद्यद के नाम-3 / अग्निशेखर
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हम पर भी कसी गई फब्तियाँ
समय की टेढ़ी आँख ने
चुना हमें ही
अपनी ही सड़कों पर
हमारे पीछे भी लगा वही आदमी
जिससे बचने के लिए
तुमने मारी थी छलांग तन्दूर में
और तुम तो निकलीं थीं
स्वर्ग के वस्त्र पहनकर
हम-
तुम्हारी बेटियाँ
झुलस रही हैं इस अलाव में