भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आँधी में / तेजी ग्रोवर

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:37, 20 जनवरी 2009 का अवतरण ("आँधी में / तेजी ग्रोवर" सुरक्षित कर दिया [edit=sysop:move=sysop])

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आँधी में
अमरूद ने अपनी सुगन्ध तक फेंक डाली है

उसे पता रहे न रहे
जिसके पास कहानी नहीं थी, अब है
मृत्यु को टरकाने का एक बहाना हवा में है
और मृत्यु की टोह लेने का

मैं भी सुगन्ध के किस चक्रव्यूह में अनिश्चित
कहाँ, कितना इत्यादि
और कैसे निकलूँ हँसी-हँसी में
इस कविता से आख़िरकार