भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
न ओस ही / तेजी ग्रोवर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:17, 20 जनवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तेजी ग्रोवर |संग्रह=लो कहा साँबरी / तेजी ग्रोवर ...)
न सामर्थ्य
न स्वीकृति
न मनाही को होना है न ओस
ही त्वचा में
गौरैय्या को आना है
पर्दों के बीच मूरख एक घोंसला शुरू हो जाना है
ठीक उसी पल
शिवपुत्र को गा नहीं पाना है
पपीते के पत्तों को बस हिलते हुए रहना है
धूप में ज़र्रों की दिशा टूट रही होनी है
तिनके उड़ रहे होने हैं पर्दों की ओर
ठीक उसी पल
गवैये को सोना है