भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गेंद / राजेश जोशी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:17, 24 जनवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेश जोशी |संग्रह=एक दिन बोलेंगे पेड़ / राजेश ज...)
एक बच्चा
करीब सात-आठ के लगभग।
अपनी छोटी-छोटी हथेलियों में
गोल-गोल घुमाता
एक बड़ी गेंद
इधर ही चला आ रहा है
और लो...
उसने गेंद को
हवा में उछाल दिया !
सूरज !
तुम्हारी उम्र
क्या रही होगी उस वक़्त?