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जादू है कविता / राजेश जोशी
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जादू है
जादू है
जादू है कविता
जो है
जो जैसा है
तुरत-फुरत
पलक झपकते
सब-कुछ की शक्ल
बदल डालने की ललक
जादू।
जादू
खाली टोकरी से
निकलता है
कबूतर
गुटर गुँऽऽ करता
भरता है
लम्बी-लम्बी
उड़ान।