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दिन / राजेश जोशी

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रात
जामन डालकर
रखा दूध
धीरे
धीरे
जमता है

दिन
निकलता है

पहाड़ों से
उतरता है
मैदान में
भेड़ों का एक रेवड़
अरे ! इसकी परछाईं कहाँ है?