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पूछा था " क्यों अन्तक करस्थ सायक सहलाता मृगछौना / प्रेम नारायण 'पंकिल'

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पूछा था " क्यों अन्तक करस्थ सायक सहलाता मृगछौना ?
क्यों नभ चुम्बन हित ललक लहराता भूतलस्थ पादप बौना ?
लौटेंगे प्रिय न प्रतीति विपुल बीतीं बसंत की मधु राका ।
फिर भी विराहज स्पंदन न स्तब्ध क्यों प्रोषित पतिका प्रमदा का ?
क्यों सलिल राशिः भैरव निनाद लोटता अवनि पर धुन माथा ?
पावस घन चपला लिए अंक में धावित यह कैसी गाथा ?
बस लिपट गयी कुछ कह न सकी बावरिया बरसाने वाली -
क्या प्राण निकलने पर आओगे जीवन वन के वनमाली॥ २०॥