भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जमूरा-2 / शशि सहगल
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:09, 25 जनवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शशि सहगल |संग्रह= }} <Poem> खेल दिखलायेगी? दिखाऊँगी प...)
खेल दिखलायेगी?
दिखाऊँगी
प्यार करेगी?
बहुत सारा
बच्चे पैदा करेगी?
जितने तू चाहे
मैं दूसरी के पास जाऊँगा, लड़ेगी?
हाँ, लड़ूँगी
क्या बोला, लड़ेगी?
ठीक है
मैं तो जाऊँगा
पर तू- दूसरे के पास नहीं जाएगी
मैं तू जाऊँगा
तू ज़हर खायेगी।