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हवा का जहाज / नरेन्द्र जैन
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हवा का जहाज
अभी-अभी आकर
ठहरा है सामने
उतरता हुआ सीढ़ियाँ
बढ़ता हूँ हाथ हिलाता
जहाज की तरफ़
वातावरण में छाई
एक विराट आकृति देखता हूँ
फहराती है फरफर एक
अदृश्य पताका
देती संकेत यात्रा की
शुरूआत का
हवा का जहाज डोलता है
प्रसन्नता व्यक्त करती है हवा
मेरे आने के स्वागत में
तालियाँ बज़ाती
लहरें उठती हैं ज़मीन में
बढ़ता है जहाज
छोड़ता तट अपना
गन्तव्य की तरफ़
हवा का जहाज
मुझे लिए आगे बढ़ रहा है
एक भारहीन कोमल सृष्टि में
प्रवेश करता है
मीलों दूर
हवा की यात्रा
पारदर्शी हो रहे हैं दुख
पक्षी प्रविष्ट होते हैं
हवा के जहाज में
एक नीला जल विस्तार
छोड़ता है फुहारें
हवा का जहाज
उड़ाए लिए जाता है मुझे
लम्बी यात्रा
पर