भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तो मैं उठा / वेणु गोपाल
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:46, 2 फ़रवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वेणु गोपाल |संग्रह= }} <poem> अपनी ही राख में से उठा कर...)
अपनी ही राख में से
उठा करता था
फ़ीनिक्स
कहानी में हर बार
जब
नहीं उठा वह
इस बार
तो
मैं उठा
नई कहानी लिखने के लिए।