भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ऋतु परिवर्तन / केशव

Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:55, 3 फ़रवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केशव |संग्रह=धूप के जल में / केशव }} Category:कविता <poem> ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


पोर-पोर
बसी
        गन्ध
               अनजान-सी

भर गयी
पंछियों की कतार से
      अरगनी
                सूने
                       आसमान की

हवा के झूले पर बैठ
आँगन में उतरी है
ऋतु
      फिर
           मेहमान सी