भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पलाश-वन / केशव

Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:22, 3 फ़रवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केशव |संग्रह=धूप के जल में / केशव }} Category:कविता <poem> ए...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक पंक्ति भी और
ले जाएगी हमें दूर
बहुत
      दूर
कुछ मत कहो
रहने दो
तमाम दुनिया को
एक विन्दु की भांति स्थिर

बहने दो
इस संगीत में
डूबी हुई नदी को
क्या पता
उग आए कौन सा पल
स्पर्शों को
अनकहा कहने दो