भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

निकट और दूर / केशव

Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:59, 4 फ़रवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केशव |संग्रह=धूप के जल में / केशव }} Category:कविता <poem> ह...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हम जब भी होंगे मौन
हमारे बीच नहीं होगा कोई
सिवा गहरे सामीप्य की
    बेसुध गन्ध के

अन्यथा शब्द हिलते रहेंगे
    रुमालों की तरह
विदा होते रहेंगे मौसम
और हम ख़ुद को ‘ बार-बार
गाड़ियाँ छूटने की
प्रतीक्षा करते हुए पायेंगे ।