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बस यही एक अच्छी बात है / राजेन्द्र राजन
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मैंने कहा फूल
एक शब्द ने फूल को छिपा लिया
मैंने कहा पहाड़
एक शब्द आ खड़ा हुआ पहाड़ के आगे
मैंने कहा नदी
एक शब्द ने ढक लिया नदी को
शब्दों से अबाधित नहीं है कुछ भी
पता नहीं कब से
शब्दों से ढका हुआ है सब कुछ
ओह , पता नहीं कब से
मैं खोज रहा हूँ
शब्दों से निरावृत सौन्दर्य ।