भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आस्था का पीपल / तेज राम शर्मा
Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:08, 4 फ़रवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तेज राम शर्मा |संग्रह=बंदनवार / तेज राम शर्मा}} [[Cate...)
स्कूल के दिनों में
वन महोत्सव बड़े उत्साह से मनाते थे
जंगल-जंगल घूम आते थे
पौधे रोपने
उस मेले के माहौल में
पढ़ाई से रहती है पूरी छुट्टी
पर साल लगाए पौधों को
जब लहलहाता देखते थे
तो गर्व से फूले नहीं समाते थे
आज इतने अंतराल के बाद
कह नहीं सकता उन पौधों में से
कितने बन पाए होंगे पेड़
पर घर की छत पर
उग आया था जो
आस्था का पीपल
वह अब मेरे दर-दीवार पर
दस्तक दे रहा है
और मैं उसके लिए
द्वार खोलने से कतरा रहा हूँ।